Artificial Intelligence (AI): इंसान अब मौत की तारीख और समय जान पाएंगे, वैज्ञानिकों ने तैयार किया ऐसा AI, जो बताएगा लोगों की ‘एक्सपायरी डेट’

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Artificial Intelligence (AI)

Artificial Intelligence based Death Predictor दुनिया में कोई भी इंसान ऐसा नहीं है, जो ये बता सके कि उसकी मौत कब होने वाली है. हालांकि, अब जल्द ही इंसान ये भी पता लगा पाएंगे.

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Death Predictor AI: ‘संसार में जिसने जन्म लिया है, उसकी मृत्यु भी निश्चित है’, गीता में ये बातें लिखी गई हैं. इस लाइन में लिखे गए हर एक शब्द सही हैं. इसकी वजह ये है कि अगर आपसे पूछा जाए कि आपकी मौत कब होगी, तो इसका जवाब कोई भी नहीं दे सकता है. हालांकि, ऐसा लगता है कि जल्द ही इंसान इस सवाल का जवाब भी दे पाएंगे. ऐसा इसलिए क्योंकि बदलती दुनिया के साथ इंसानों को अपनी मौत की तारीख भी जल्द ही मिलने लगेगी.

दरअसल, डेनमार्क में स्थित ‘टेक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ डेनमार्क’ (डीटीयू) ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई पर आधारित डेथ प्रीडिक्टर (मौत का अनुमान) तैयार किया है. इस डेथ प्रीडिक्टर को लेकर दावा किया गया है कि ये किसी व्यक्ति की जीवन की अवधि को बेहद सटीकता से बता सकता है. आसान भाषा में कहें, तो ये डेथ प्रीडिक्टर किसी इंसान को बता सकता है कि वह कितने साल जीने वाला है. एक तरह इंसान को अपनी एक्सपायरी डेट ही मिल जाएगी. 

किस तरह काम करता है डेथ प्रीडिक्टर?

चैटजीपीटी की दर्ज पर तैयार इस नए मॉडल को AI Life2vec सिस्टम का नाम दिया गया है. ये सिस्टम स्वास्थ्य, शिक्षा, व्यवसाय और आय जैसी निजी जानकारियों को लेता है और फिर उसके आधार पर किसी इंसान की जीवन की अवधि की भविष्यवाणी करता है. 

डेनमार्क की आबादी के डाटा का इस्तेमाल कर टेस्ट करने पर इसने पूरी सटीकता के साथ काम किया है. टेस्टिंग के लिए 2008 से 2020 तक 60 लाख लोगों से जुड़े स्वास्थ्य और लेबर मार्केट डाटा का विश्लेषण किया गया. इसके जरिए डेट प्रीडिक्टर ने 78 फीसदी सटीकता के साथ सही डाटा दिखाया है.

डेट प्रीडिक्टर सिस्टम पर हुई स्टडी

यूनिवर्सिटी में AI Life2vec सिस्टम को लेकर ‘मानव जीवन की भविष्यवाणी करने के लिए जीवन की घटनाओं के अनुक्रम का इस्तेमाल करना’ नाम से एक स्टडी की गई है. इस स्टडी की प्रमुख लेखक सून लेहमन ने न्यूयॉर्क टाइम्स से बात करते हुए कहा, ‘हमने हर एक व्यक्ति के जीवन में घटित होने वाली घटनाओं का सीक्वेंस तैयार किया. इसके बाद इस सीक्वेंस का विश्लेषण करने के लिए चैटजीपीटी के पीछे की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया है.’

उन्होंने कहा, ‘हमने इस तथ्य का इस्तेमाल किया कि किसी न किसी स्तर पर इंसान का जीवन भी भाषा की तरह की समान है. जिस तरह से शब्द वाक्यों में एक दूसरे का अनुसरण करते हैं, उसी प्रकार मानव जीवन में घटनाएं एक दूसरे का अनुसरण करती हैं.’

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